अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के गठन के पीछे एक बहुत बड़ी कहानी है कि क्योंकि देश की आजादी में अग्रवाल-वैश्य समाज का बहुत बड़ा योगदान रहा था देश की आजादी में लगभग 29 प्रतिशत स्वतंत्रता सेनानी अग्रवाल-वैश्य समाज के हुए और यही कारण था कि भारत की पहली संसद में अग्रवाल-वैश्य समाज के सन 1952 में 82 सांसद लोकसभा में चुनकर गए, सन 1952 से 1967 तक हमारे समाज की लोकसभा और राज्यसभा में बहुत सम्मानजनक स्थिति थी, परन्तु उसके बाद से यह संख्या घटती चली गई और 1975 में ऐसा लगा कि अपना समाज एक बहुत बड़ी संख्या में होते हुए, आर्थिक दृष्टि से परिपूर्ण होने के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में बहुत बड़ी सेवा करने के बाबजूद राजनीति क्षेत्र से पिछड़ता जा रहा है, हालांकि देश में हजारों संस्थाएं समाज के कल्याण का काम स्थानीय तौर पर कर रही थी जैसे कि दिल्ली में दिल्ली प्रदेश अग्रवाल महासभा, मध्य प्रदेश में मध्य प्रदेश अग्रवाल महासभा, उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश अग्रवाल महासभा, राजस्थान में राजस्थान प्रदेश अग्रवाल महासभा इतनी बड़ी संख्या में यह संस्थाएं अपना-अपना कार्य बखूबी कर रही थी परन्तु इन सभी संस्थाओं को राष्ट्रीय स्तर पर संगठित करने का कार्य कोई नहीं कर रहा था मुख्यतः इसी विषय को साथ लेकर पुरे विश्व में बिखरे अग्रवाल समाज को एक सूत्र में पिरोने के लिए, अग्र-भूमि अग्रोहा का विकास करने के लिए एवं अग्रसेन जी के सिद्धांतों एवं उनका गौरवशाली इतिहास को सम्पूर्ण विश्व में प्रचार-प्रसार करने के लिए सन 1975 अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन कि स्थापना की गयी। जिनमें उस वक्त के सीकर के सांसद श्री किशन जी मोदी को सम्मेलन का संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं दिल्ली के लाला रामेश्वर दास जी को संस्थापक राष्ट्रीय महामंत्री बनाया गया। सम्मेलन के संस्थापक सदस्यों में जबलपुर से लाला बद्रीप्रसाद अग्रवाल जी, इंदौर से डॉ श्रीमती स्वराज मणि अग्रवाल जी, नागपुर से श्री हरिकिशन जी अग्रवाल, चेन्नई से श्री बृजलाल चैधरी जी, मुंबई से सेठ श्री तिलकराज अग्रवाल जी, मैसूर से श्री बद्री प्रसाद जी, हैदराबाद से श्री चुन्नी लाल अग्रवाल जी, मेरठ से श्री बशेशर दयाल गुप्ता जी एवं दिल्ली से श्री जय प्रकाश भारती जी सम्मिलित थे।

अपनी स्थापना के समय से ही इस संस्था में पूरे भारत का प्रतिनिधित्व दिया गया जिससे यह अपने नाम के अनुरूप राष्ट्रीय स्तर पर संगठनात्मक ढांचा विकसित कर सके। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री श्री बनारसीदास गुप्ता राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं श्री रामेश्वर दास गुप्ता महामंत्री के कार्यकाल में संस्था ने न केवल पूरे देश में लोकप्रियता हासिल की वरन अनेक दूसरी संस्थाओं का भी गठन किया जो आज अत्यंत सराहनीय कार्य कर रही हैं। सम्मेलन की प्रेरणा एवं प्रयासों से ही 1976 में अग्रोहा विकास ट्रस्ट का गठन किया गया जिसके माध्यम से अग्रोहा धाम का स्वरूप निखर कर सामने आया एवं पूरे देश के अग्र-बंधुओं के मन मे अग्रोहा धाम की यात्रा करने की प्रेरणा उत्पन्न हुई जो दिन-प्रतिदिन निंरतर आगे बढ़ रही है। सम्मेलन द्वारा अग्रवाल समाज की शक्ति एवं विस्तार को आगे बढ़ाने के लिए 1982 में अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन की स्थापना की गई जो आज पूरे देश में अग्रवाल एवं वैश्य समाज को संगठित करने का काम कर रही है। अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन की प्रेरणा एवं प्रयासों से ही 1987 में अग्रोहा मेडिकल कालेज की स्थापना के लिए अलग संस्था का गठन किया गया जिसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में चलाया जाने वाला एशिया का सबसे विशाल मेडिकल कालेज एवं अस्पताल का संचालन सफलता पूर्वक किया जा रहा है। आज यह तीनों संस्थाएं स्वतंत्र रूप से सराहनीय कार्य कर रही है जो अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। पिछले 45 वर्षों के इतिहास में अनेक महानुभावों को इस संस्था का नेतृत्व करने का अवसर मिला एवं सभी ने इस की लोकप्रियता को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसमें सर्वश्री विजय चैधरी, प्रदीप मित्तल एवं सुरेन्द्र गुप्ता सम्मिलित हैं। वर्तमान समय में श्री गोपाल शरण गर्ग के हाथों मे इस गौरवशाली संस्था का नेतृत्व है जो इसकी सदस्य संख्या एंव संगठनात्मक ढांचा बढ़ाने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।

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